शिव ने 11वा रूद्र अवतार हनुमान जी के रूप में क्यों लिया, जानिए पौराणिक अद्भुत कथा, हनुमान जयंती
भगवान शिव (Bhagwan Shiv) का 11वां अवतार का अद्भुत रहस्य जानेंगे आज कि Video में। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, अब तक हम जानते आए भगवान विष्णु ने लिए थे कई अवतार, परंतु क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव ने भी लिए थे कई अवतार. उन्हीं में से हनुमान जी है भगवान शिव (Bhagwan Shiv) के 11वे अवतार, जो राम भक्त हनुमान जी (Hanuman Ji) के नाम से विख्यात और कलयुग मे अपने भक्तों की सहायता करने के लिए इस सृष्टि में विचरण करते रहते हैं।
भगवान शिव के 11वे अवतार के अद्भुत रहस्य को जानने से पहलेChannel को SUBSCRIBE और मंदिर की घंटी की तरह इस घंटी को भी दबाएं अवश्य, और भगवान शिव का 11वां रूद्र अवतार महावीर हनुमान जी का अद्भुत रहस्य जाने के लिए इस Video को भी देखे अंत तक अवश्य
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महाबली हनुमान जी का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा को मंगलवार के दिन हुआ था, इसलिए हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जी जयंती मनाई जाती है। हनुमान जी ने अपना जीवन प्रभु श्री राम जी और माता सीता को समर्पित किया था। अमर और चिरंजीवी होने का वरदान भी हनुमान जी ने माता सीता से ही प्राप्त किया था। शिव का 11वां रूद्र (Rudra) अवतार महावीर हनुमान जी को महाकाल शिव का 11वां रुद्रावतार भी माना जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार हनुमान जयंती दिवस पर हनुमान जी की पूजा अर्चना होती है और कृपा प्राप्ति भी होती है। और हनुमान जी के सभी मंदिरों में भक्त उपस्थित होते हैं।हिंदू धर्म और पौराणिक ग्रंथों के अनुसार राम भक्त हनुमान जी को देवाधिदेव भगवान शिव शंकर का 11वा अवतार माना गया है। हनुमान जी (Hanuman Ji) के जन्म संबंध में रामचरितमानस में भी इसका उल्लेख मिलता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु के जय विजय नाम के दो द्वारपाल हुआ करते थे और उन दोनों को अपने जन्मों से मुक्ति दिलाने के लिए और धर्म की स्थापना कराने के लिए भगवान राम के रूप में अवतार लिया था। और साथ में भगवान राम की सहायता करने के लिए देवाधिदेव (Bhagwan Shiv) भगवान शिव शंकर ने अपने 11वे रूद्र अवतार हनुमान जी के रूप में लिया था।
कुछ समय पश्चात सुमेरु पर्वत के राजा केसरी और उनकी पत्नी अंजना, पुत्र प्राप्ति के लिए तपस्या करने लगे. तत्पश्चात भगवान शिव उन दोनों की तपस्या से प्रसन्न होकर उनसे अपनी इच्छा के अनुसार वरदान मांगने को कहा. तत्पश्चात माता अंजना जी ने भगवान शिव से वरदान के रूप में एक ऐसे पुत्र को मांगा जो रुद्र की तरह महाबली और पराक्रमी हो, वायु जैसा गतिमान हो, और गणपति की तरह बुद्धिमान तेजस्वी और ऊर्जावान हो। तत्पश्चात महादेव जी ने अपनी रूद्र शक्ति का अंश पवन देव के रूप में यज्ञ कुंड में अर्पित किया और वही महादेव जी का अंश रूप शक्ति अंजना जी के गर्भ में प्रविष्ट हुआ। और चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को महादेव जी का 11वा रुद्र अवतार हनुमान जी के रूप में जन्म हुआ था
रामचरितमानस में ही लिखा हुआ है कि धर्म की स्थापना करने हेतु रावण का अंत और माता सीता को छुड़वाने मैं सहायता के लिए महादेव जी ने 11वे रुद्र अवतार हनुमान जी के रूप में जन्म लिया था। उस समय अन्य देवी-देवताओं ने भी अलग-अलग रूप में भगवान राम की सेवा के लिए अवतार भी लिए थे. इसके पीछे का एक अद्भुत रहस्य यह भी है की उनको भगवान विष्णु से दास्य का वरदान प्राप्त हुआ। जो कि हनुमान जी (Hanuman Ji) उनकी 11 रूद्र के अवतार में थे और इस रूप में भगवान शिव शंकर को प्रभु श्री राम जी की सेवा करने का भी अवसर प्राप्त हुआ और साथ में प्रभु श्री राम जी की सहायता भी हुई
महादेव जी का इस प्रकार अंजना के गर्भ में हनुमान जी (Hanuman Ji) के रूप में जन्म हुआ जो हनुमान जी को भगवान शिव का 11वा रुद्र अवतार कहा जाता है। तो आइए जानते हनुमान जी को और किन नामों से जाना जाता है। सर्वप्रथम { हनुमान जी } नाम के रूप में प्रसिद्ध है। हनुमान जी को बजरंगबली, मारुति, पवनसुत, केसरीनंदन, महावीर, पवनकुमार, मरुत्सुता, बालीबिमा, संकट मोचन, अंजनेय, रुद्र, अंजनीसुत, आदि नाम से भी जाना जाता है।
इस वीडियो में जो भी पात्र और शब्द लिए गए हैं वह सारे धर्म पौराणिक धर्म ग्रंथों के आधार पर जानकारियां दी गई है वे सारे पौराणिक ग्रंथों में लिखे हुए उसी के अनुरूप बताए गए हैं जो आप टीवी सीरियलों में देखते हैं
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